स्व-घोषणात्मक कविता - एक साहित्यिक प्रवृत्ति जिसमें कवि व्यक्तिगत, आत्म-घनिष्ठ अनुभव और भावनाओं का खुलासा करते हैं, अक्सर आघात, अपराध-बोध या कठिनाइयों को स्पष्ट पहली-व्यक्ति आवाज़ में संदर्भित किया जाता है.

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